tag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post6381991784927749929..comments2023-10-02T06:53:02.091-07:00Comments on ठहाका: त्वरित टिप्पणियों की टकसाल: हिन्दी कवि सम्मेलनबसंत आर्यhttp://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-88024533434880694362010-01-01T19:51:00.615-08:002010-01-01T19:51:00.615-08:00आज श्याम ज्वालामुखी जी के बारे में और बुद्धिजीवी श...आज श्याम ज्वालामुखी जी के बारे में और बुद्धिजीवी शब्द के बारे में नेट पर कुछ कन्टेंट ढूँढ रहा था। आपका यह पोस्ट पकड में आ गया। <br /><br /> मुंबई ब्लास्ट में हम सभी को छोड गये श्याम ज्वालामुखी जी की ही शायद एक लाईन थी जिसमें उन्होंने कहा था - <b> बुद्धिजीवी वो होता है जिसे कि यदि तबेले में कितनी भैंसे हैं गिनने के लिये कहा जाय तो वह पहले भैंसो के पैर गिनेगा और सभी पैरों की कुल संख्या को चार से विभाजित कर भैंसो की संख्या बताएगा । </b><br /><br /> मैं इस परिभाषा को याद कर अब भी मन ही मन मुस्कराता हूँ।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-4524046094397844442008-03-31T19:12:00.000-07:002008-03-31T19:12:00.000-07:00आप की हाजिर जवाबी का तो जवाब नहीं जी, ये अभी अभी प...आप की हाजिर जवाबी का तो जवाब नहीं जी, ये अभी अभी पता चला कि आप बिहार से हैं। अब कविता भी तो सुनाइए न जो वहां पढ़ी थी।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-63697359584382416092008-02-07T01:35:00.000-08:002008-02-07T01:35:00.000-08:00टिपण्णी पर टिपण्णी न होने से टिपण्णी ज्यादा सर चढ़...टिपण्णी पर टिपण्णी न होने से टिपण्णी ज्यादा सर चढ़ कर बोलती है . बिहारी ऐसे ही अपनी ताकत दिखाए !संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-25700634537777337562007-11-25T06:14:00.000-08:002007-11-25T06:14:00.000-08:00वैसे टिप्पणियों पर टिप्पणी करना एक अच्छी शुरुआत है...वैसे टिप्पणियों पर टिप्पणी करना एक अच्छी शुरुआत है , यदि टिप्पणी सकारात्मक हो तब . आज़कल तो लोग एक दूसरे की बखिया उधेरने लगे हैं जो कहीं से भी उचित नही है ! भाई आपने तो इस सन्दर्भ में काफी सूझ-बुझ का परिचय दिया है ,समीर जी के बहाने टिप्पणियों पर अच्छी टिप्पणी की है, बधाईयाँ !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-17574519917634905232007-11-24T21:28:00.000-08:002007-11-24T21:28:00.000-08:00बहुत सुन्दर। आपने समीर जी के बहाने टिप्पणियों पर अ...बहुत सुन्दर। आपने समीर जी के बहाने टिप्पणियों पर अच्छी टिप्पणी की है। बधाई स्वीकारें।<BR/>एक रिक्वेस्ट है आपके ब्लॉग का बैकग्राउंड कलर काला होने के कारण लेख पढने में दिक्कत होती है। आशा है इसपर गौर फरमाएंगे।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-70189441095044368832007-11-23T05:44:00.000-08:002007-11-23T05:44:00.000-08:00भाई आपने तो पूरा का पूरा मजा ही दे दिया कवि सम्मेल...भाई आपने तो पूरा का पूरा मजा ही दे दिया कवि सम्मेलन का. बस कविता सुनना रह गया, बाकी का सारा उल्लास तो आपकी लेखनी ने समेत ही लिया. <BR/><BR/>वैसे एक नेक सलाह है की समीर जी के प्रशंसकों से पंगा न ही लें तो बेहतर रहेगा. उनके चाहने वाले बहुत हैं. बहुतों का तो ब्लॉग महीनों तक समीर लाल जी की एक ही टिपण्णी को रह रह का धन्यवाद करता रहता है.पुनीत ओमरhttps://www.blogger.com/profile/09917620686180796252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018729393752857849.post-61115513263938511522007-11-21T00:23:00.000-08:002007-11-21T00:23:00.000-08:00संचालक और श्रोताओं, दोनों के लिए ये टिप्पणियां टान...संचालक और श्रोताओं, दोनों के लिए ये टिप्पणियां टानिक का काम करती हैं. मुझे याद है, एक सम्मेलन का संचालन अशोक चक्रधर जी कर रहे थे. उन्होंने के पी सक्सेना जी को आमंत्रित करते हुए कहा,<BR/><BR/>अब मैं जिस कवि को बुला रहा हूँ<BR/>उसके दाएं कवि है, बायें महिला<BR/>एक सरल है, एक सघन<BR/>उसमें दोनों की समानता<BR/>कहूं उसे जड़ या चेतन<BR/><BR/>सक्सेना जी के बायें सरोजिनी प्रीतम बैठी हुई थीं....Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.com