25/12/09

बाद तुम्हारे विदा होकर

(कुछ यादे अनकही ही रह गयी जीवन मे -दोस्तो मै आपको यह बताना चाहूंगा कि यह रचना हमारे काँलेज के दिनों मे लिखी गयी थी)

बाद तुम्हारे विदा होकर
चले जाने के
नही रह पाउंगा दुखी
नही होऊँगा घडी घडी उदास
और भी बहुत कुछ है
जिसे पाया जा सकता है या
इसी तरह
की जा सकती है कोशिश
कोई कविता की किताब
या फिर
एक नई भाषा ही सिखूंगा
उन मजनूओ की भांति
क्यो फिरुंगा मारा मारा
दोस्तो को लिखूंगा खत
भले ही ,
नही लिखूंगा तेरी याद मे
कोई भी कविता,
पापा की कमीज पर
करूंगा इस्त्री
या गमलो मे डालूंगा पानी
खो जाऊंगा
किसी परीक्षा की तैयारी मे
मगर नही सुनून्गा
पुरानी हिन्दी फिल्मो के
दर्द भरे वो नगमे
बाद तुम्हारे विदा होकर
चले जाने के

3 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

रचना बहुत सुन्दर है मगर colour combination के कारण पढने मे असुविधा हुयी। हम जैसे बुज़ुर्गों का भी ध्यान रखा करें अब नज़र काम नहीं करती। धन्यवाद

Mithilesh dubey ने कहा…

उम्दा रचना । आभार

Udan Tashtari ने कहा…

ये सही प्रण लिया था आपने...अब तक तो गमले के पेड बड़े हो गये होंगे. :)


बड़े दिन बाद दिखे??