23/7/07

लालू यादव ही नहीं , सारे बिहारी चोर हैं

आप डिवाइन इंडिया के चिट्ठाकार दिव्याभ आर्यन से तोपरिचित होंगे. बिहार के रहने वाले है, परहैं जरा सेंटी किस्म के आदमी. आधी उम्र तो बीत चुकी है जनाब की मगर, छोटी छोटी बातों का बुरा मान जाते हैं. जैसे कोई साँवली लड़की काली कह दिये जाने पर कुनमुना जाती है. मतलब अभी चिकने घडे नहीं हुए है अभी कि बिना असर डाले पानी नीचे बह जाये. पिछले दिनो किसी ने मुम्बई की लोकल ट्रेन में एक नया सत्यउनके सामने रख दिया- एक बिहारी सौ बीमारी . बिहारी होने के कारण आहत हो गये. इस देश में तो एक मेढक के टाँगमें चार धागा बांध कर ग्यारह बच्चे खींचते हैं और मजा लेते है:-). यही बच्चे बडे तो हो जाते है पर उनकी आदत नहीं जाती. मेढक नहीं मिलता है तो आदमी की टाँग में रस्सी बन्ध कर खींचते है.


मैं दिव्याभ आर्यन से मिला तो नहीं हूँ पर इनके एक छोटे भाई है जिनसे मेरी गहरी दोस्ती है. वे इनकी तरह बरास्ता दिल्ली आइ ए एस बगैरह बनने के प्रयास में टाइम खराब किये बिना सीधे मुम्बई आ गये थे.ये आये हैं फिल्मों, टी वी सीरियलों के डाइरेक्टर बनने पर छोटे भाई साहब का किस्सा अलग है. उनको कालेज केबदमाश और नाकारा ळडकों ने एक दिन् इस लिए खूब् मारा कि प्रिंसिपल की लड़की उस पर क्यों मरती है यह उन्हे लाख कोशिश करने पर भी समझ नहीं आ रहा था. जबकि उस लड़की पर डाइरेक्ट हक उस लडके का बनता था जो प्रिसिपल के मकान में बतौर किराये दार रह रहा था, किराया भी ऎडवांस देता था और शाम को बाजार से सब्जी वगैरह भी लाया करता था. तो गुन्डे लफाडियो से पिटाई खा कर इतने आहत हुए कि सीधे शहर के निकटतम रेल वे स्टेशनपर पहुँचे और यह कसम खाकर कि अब तो कुछ बन कर ही वापस आयेंगे सामने जो भी ट्रेन खडी ठीक उसमे सवार हो गये. साथ में थे कुछ कपडे और ढेर सारी कविताऑ की डायरी और कुछ किताबें. छोटे भाई साहब बेहद सम्वेदनशील हैं किंतु सेंटी बिल्कुल नहीं.मुम्बई आकर बहुत् दिनों तक फुटपाथ पर भटकते रहे और ये सोचते रहे कि इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है. एक मशहूर चित्रकार, जिनकी पेंटिंग करोड़ में बिकती है, उसे जावेद अख्तर के पास ले गये. जावेद जी ने कहा- तुम्हारा सर्टिफ़िकेट तो जरूर् नकली होगा. जरूर चोरी करके पास हुए होगे. पढ़ना लिखना आता है? इस तरह् एक कवि ने एक कवि का मुम्बई में जोरदार स्वागत किया. फिर कोई व्यक्ति उन्हें यू पी के एक बिजनेस मैन के पास ले गये. यू पी वाले ने कहा बिहार के हो? अरे सारे बिहारी तो चोर हैं. तो छोटे भाई साहब ने एक किस्सा सुनाया- जब मुम्बई आने के क्रम में ट्रेन में लेटे लेटे लखनऊ में उसकी नींद खुली तो उसके कलाई से घडी नदारद थी जो पिताजी ने दसवी की परीक्षा में अव्वल आने पर पिताजी ने दी थी.. तो यूँ तो सारे बिहारी चोर हैं पर छोटे भाई साहब के जीवन की सबसे पहली चोरी लखनऊ में हुई जो बिहार के बाहर है. मुम्बई पहुंचते ही उनका बैग गायब हो गया और स्टेशन के बाहर निकले तो पर्स का पता न था. ये स्टेशन भी बिहार में नहीं था. छोटे भाई साहब को मेरे एक दोस्त ने क्राफर्ड मार्केट में एक सेठ के यहाँ काम दिलाया. छोटे भाई साहब ने तीन चार महीने सेठ के यहाँ काम किया. उनका स्मगलिंग का धन्धा था. जब छोटे भाई सहब को पता लगा तो अपना दो महीने का वेतन छोड कर भाग निकले. बाद में उस सेठ से मुलाकात हुई तो मैने छोटे भाई साहब के वारे में पूछा. सेठ जी बोले- मैं तो पहले ही जानता था . सारे बिहारी चोर हैं. भाग गया.


तो साहब अगर कोई चोर को चोरी न करने दे , या चोरी करने में साथ न दे और रास्ता नाप ले तो चोर बन जाता है.


लालू यादव ने रेलवे को इसी तरह मुनाफे में पहुंचाया है. जितने सुराखो से चोरी हो रहे थी उन सुराखो को बन्द कर दिया. मगर लोग तो बस् यही कहते है. लालू यादव ही नहीं सारे बिहारी चोर है.


इसी साल नवी मुम्बई के नेरूल उपनगर में बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था. निर्माणाधीन बिहार भवन के प्रांगण में कार्यक्रम था. बिहारी लोगों को जो मिले वही ठगने की कोशिश में रहता है. माइक वाले ने पूरा पेमेंट लेकर भी घटिया साउंड सिस्टम भेजा था . बीच बीच में माईक मायके चला जाता था और कवि गण परेशान हो जाते थे. मंच पर संचालक अनंत श्रीमाली मौजूद थे और साथ में थे दिलदार और हर छे महीने पर कार बदल देने वाले और आज कलस्कोर्पियो में घूम रहेएक मात्र मुम्बईया हिन्दी कवि अरविन्द राही, लाफ्टर चैलेंज और कॉमेडी सर्कस वाले सुनील साँवरा, मुकेश गौतम, राजीव सारस्वत और मैं खुद. माईक बार बार जवाब दे ही रहा था एक बार बिजली भी चली गई. संचालक जी ने कहा अब जब बिजली भी चली गई तोलग रहा है कि हम वाकई कवि सम्मेलन के लिए बिहार आ गये हैं . लोगों ने खूब मजा लिया जिसमे आधे से ज्यादा बिहारी थे. तो भाई साहब बिहारी होते हैं मजा लेने के लिए. चाहे जैसी भी परिस्थिति हो मजा ले लो. दुःखी मत होओ. मैंने कई सारी कविताओं के पहले वही पर लिखी चार पक्तियाँ वही सुनाई जिसके लिए सारे श्रोताओं ने इतनी देर तक और इतनी जोर कीतालिय़ाँ बजाई जैसी मैने कभी नहीं सुनी थी. आप भी मुलाहिजा फरमाईए.


बिहार सिर्फ राज्य नहीं एक तीर्थ धाम है


बुद्ध महावीर सती सीता का वो ग्राम है


मुश्किलों से दो दो हाथ बिहारियों का काम है


चाणक्य चन्द्रगुप्त भी बिहारियों के नाम है


और घाटे वाली रेलगाडी दे रही मुनाफा अब


क्योंकि वहाँ भी बिहार वाले लालू की लगाम है


अरे एक एक बिहारी यहाँ सैकडों पे भारी है


ऐसे वीर बिहारियों को सौ सौ प्रणाम है.

12 टिप्‍पणियां:

अनुनाद सिंह ने कहा…

वसन्त भाई!

आपका हार्दिक स्वागत है।

आप द्वार चुने हुए विषय बहुत अच्छे लगे।
अच्छी तरह पढ़ने के बाद विस्तार से टिप्पणी करूंगा।

बसंत आर्य ने कहा…

धन्यवाद भाई, इंतजार रहेगा.

Udan Tashtari ने कहा…

अरे एक एक बिहारी यहाँ सैकडों पे भारी है
ऐसे वीर बिहारियों को सौ सौ प्रणाम है.

--बहुत प्रणाम, बसंत भाई. बड़े रोचक अंदाज में बात रखी है.

Divine India ने कहा…

सलाम भाई,
खुशी हुई कि आप भी मार्गदर्शी नहीं टारपिडों की तरह विनाश की आँखें रखते हैं… मैं इसी प्रतीक्षा में था कि कोई व्यापक प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई अबतक यह तो हमारे ब्लागर भाइयों का गणितीय नियम है वाद को विवाद बना देना… तो आप मुलायज़ा फरमाएँ सामने हैं…।
मुझे तो लगता है कि आपने मेरी पोस्ट को समझा ही नहीं अरे बिहार की क्या बात करते हैं भाई साहब…आप जैसे लोगों के कारण नार्थ ईस्ट वाले तो खुद को विदेशी मानते हैं।
अरे यार अगर देश को एक सूत्र में नहीं पिरों सकते तो कम-से-कम ऐसी बाते तो मत ही किया करो…
मेरा उद्देश्य इतना सिकुड़ा नहीं कि बिहार की गतिविधियों पर मैं नजर नहीं रखता और मुझे पता नहीं कि लालू ने क्या किया है…रेलवे को चुना लगाया है या रेलवे फायदे में है… ज़नाब बुद्ध-महावीर-अशोक को कौन याद करता है…जब भारत अपने अतीत से लगातार भाग रहा है तो मैं भी भीड़ ही हूँ भाई…। विदेशों में जाते हो तो खुद से नहीं पहचाने जाते वहाँ तुम्हें ताज-बुद्ध-गांधी से पहचान बनानी पड़ती है…सवाल बिहारियों का नही है,यह हमारी समस्या है…जिसे ऐसे ही ठहाकों में निकाल दिया जाता है…।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

मस्त लिखा है जनाब। यही नही बल्कि अधिकतर रचनाएं पसंद आई आपकी।
शुक्रिया!

Sagar Chand Nahar ने कहा…

विवाद- उवाद तो हमें नहीं पता पर आपकी लिखने की शैली हमें बड़ी अच्छी लगी और अब नियमित मुलाकात होती रहेगी।

Rohit Shrivastava ने कहा…

maza aa gaya bhai........ek line hamare taraf se bhi

Jo log Bihariyon ko gali dete hain
unko yeh pata bhi nahi hoga ki is desh ko banane me hum bihariyon ka kitna bada yogdan hai.....

jai Bihar

Neelima ने कहा…

बहुत रोचक शैली !

बेनामी ने कहा…

आपने अपने ठहाका में बिहार और बिहारियों से संदर्भीत जो मुद्दे उठाएं हैं, वह निश्च्य ही
बेहद- बेहद प्रशंसनीय है.सारे बिहारियों को चोर कहने वाले शायद यह भूल गाएं हैं, कि
समूची दुनिया में ग्यान का प्रकाश फैलाने वाले भगवान बुद्ध को ग्यान क़ी प्राप्ति कहाँ हुई?
जिसे पूरी दुनिया जगत्जननि कहकर माँ सीता के रूप में पूजती है, वह कहाँ अवतरित
हुईं?जिस लोकतंत्र में उन्मुकताता क़ी साँस ले रहे हैं, उसका शंखनाद असहियोग आंदोलन
के रूप में कहाँ से हुआ? राष्ट्रकवि दिनकर का द्वांदगीत कहाँ गूंजा था? कहाँ वेनीपूरी क़ी
अंबपाली ने पायल झनकाकर रुनझुन गीत सुनाए थे? भारत को प्रथम राष्ट्रपति किसने
दिया? विश्व का प्रथम विश्वविदयालय किसके पास है?

Anita kumar ने कहा…

आप की कविता प्रशंसनिय है और लेख भी

Udayesh Ravi ने कहा…

Fantabulous Basant Bhai.
sach ko sach kee tarah prastut karne mein aapka sani nahee.

Kayal hua.

mastmoola ने कहा…

aacha laga mai v blog par likhta hu aur lalu jee to maire pasandida logo mai se hai