हिरोइन परेशान थी. वह मोटी हो गयी थी और होती ही चली जा रही थी. पता नहीं पब्लिक मोटी हिरोइन को पसन्द करेगी या नहीं. पर पब्लिक तो बाद में. मालूम नहीं डायरेक्टर , प्रोड्यूशर भी पसन्द करें या नहीं. तभी सिग्नल पर हिरोइन को डायरेक्टर दिखा. डायरेक्टर भी काफी परेशान चल रहा था. फ्लाँप फिल्मो का उसका रिकार्ड कुछ ज्यादा ही लम्बा होता जा रहा था. कोई फायनेंसर उस पर निगाह डालने को तैयार न था और अंडर वर्ल्ड के पजामे के अन्दर तक अभी उसकी टाँग पहुंच नहीं पायी थी. ऐसे में हिरोइन की निगाह उस पर पड़ी तो उसकी आत्मा हरी हो गई. चूँकि अभी शाम नहीं ढली थी और रात का नशा पूरी तरह उतरा नहीं था इसलिए दोनों ने तय किया कि डिस्कसशन के लिए काँफी टेबल ज्यादा उपयुक्त रहेगा. दोनों ही बार को पार कर कैफे में घुसे . हिरोइन ने बैरे के आने से पहले अपनी फिक्र जाहिर की कि वह न चाहते हुए भी मोटी हुई जा रही है. डायरेक्टर बोला वह न चाहते हुए भी फ्लाँप पर फ्लाँप फिल्मे दिये जा रहा है. दोनों ने सोचा कुछ करना चाहिए और जब करना ही है तो क्यों न एक दूजे के लिए करे. डायरेक्टर बोला- मैं तुझे साईन करना चाहता हूँ..
हिरोइन मन ही मन खुश हुई पर उपर उपर बोली- मुझ मोटी को? डायरेक्टर बोला- हाँ . फिल्म का नाम है एक मोटी की लव स्टोरी. हिरोइन खुश हो गई तो डायरेक्टर ने उसकी खुशी कम करते हुए कहा- पर फायनेंस है नहीं इसलिए मैं कुछ दे नहीं पाउंगा. हिरोइन बोली- हम फ्रेंड है. तो फ्रेंड किस दिन काम आते हैं? मैं तुम्हारे बुरे वक्त में कुछ हेल्प करना चाहूँ तो ये तो मेरा हक बनता है. डायरेक्टर ने आँखों में शरारत भरते हुए पूछा- पूछोगी नहीं इस्टोरी क्या है.
हिरोइन बोली- आप भी मजाक करते हैं. पिछली बार इस्टोरी पूछी थी तो आपने मुझे फिल्म से ही आउट कर दिया था. डायरेक्टर खुश होते हुए बोला- गुड! तुम्हारा एप्रोच बिल्कुल प्रोफेशनल हो गया है.
वैसे मुझे भी मालूम नही कि कहानी क्या होगी. हो सकता है मैं किसी फाँरेन फिल्म से इस्टोरी लूंगा. काँफी की चुस्की लेते हुए डायरेक्टर ने बात आगे बढाई- इस्टोरी चूँकि है नहीं इसलिए तय है कि फिल्म में कुछ सीन नमकीन होंगे. कोई एतराज तो नहीं? हिरोइन बोली- सर पिछली बार एतराज किय था तो आपने मेरा रोल काटकर पाँच मिनिट का कर दिया था. मैं क्या पागल हूँ?( आखिरी वाक्य हिरोइन ने इस अन्दाज में कहा जैसे वह सचमुच पागल नहीं हो) हिरोइन ने सवाल क्या- हीरो कौन होगा? डायरेक्टर बोला- एक तो तू वैसे ही मोटी हो गई हो. दूसरे मेरे पास फायनेंस भी नहीं है. कोई हीरो राज़ी नहीं होगा. तो क्या बिना हीरो के फिल्म बनाओगे? मैं सोंचता हूँ अपने बडे बेटे को हीरो बना दूँ मगर बड़ा बेटा तो अभी बहुत छोटा है और बोतल से दूध पीता है. क्या तुम मुझे माँ का रोल दे रहे हो? डायरेक्टर बोला- नहीं वह तुम्हारे ब्वाय फ्रेंड का रोल करेगा. हम कम्प्यूटर की मदद से उसका डांस वगैरह दिखा देंगे. हिरोइन बोली- मगर बडी- बडी मल्टीस्टारर फिल्मे फ्लाँप हो रही है. एक मोटी हिरोइन और छोटे हीरो से फिल्म का क्या होगा? डायरेक्टर बोल- तुम चिंता मत करो. हमें प्लान करना पडेगा हिरोइन पूरे अटेंशन के साथ आगे झुक गाई तो डायरेक्टर बोली- फिल्म रीलीज होने से पहले तुम कानून का दरवाजा खटखटाओगी कि इस फिल्म मैं तुम जिंतनी मोटी नहीं हो उससे ज्यादा दिखाई गई हो. इतनी मोटी देखकर तुम्हारे फैन तुमसे नाराज हो जायेगे. वैसे ये अलग बात है कि तुम्हें ज्यादा मोटी देख कर तुम्हारे फैन और खुश होंगे. खबर की भूखी प्यासी मिडिया इस खबर लो ले उडेगी. हो सके और थियेटर मालिक राजी हो तो एक- आध जगह हम तुम्हारे फैन से थियेटर पर तोड फोड भी करा देंगे. फिर देखना कैसे होती है हमारी पिक्चर सुपर हिट! काँफी खत्म हो चुकी थी इसलिए दोनो मुस्कुराते हुए कैफे से बाहर निकल पडे हास्य व्यंग्य, फिल्म.
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