26/7/07

मेरा कुत्ता

मेरा कुत्ता नेता हो गया है
लोगों का चहेता हो गया है
जहाँ भी जाये
जुगत भिड़ा लेता है
भाषण देने लगे
तो जमा देता है
कुत्ता मेरा है --
पर काम आपके भी आ सकता है
मसलन मनचाही जगह
आपकी ट्रांसफर करा सकता है
या पड़ोसियों को
झूठे मुकदमे में फँसा सकता है
आप कहेंगे
फाँक रहा है
इसका कुत्ता है न
इसीलिये हाँक रहा है
मगर झूठी बात नहीं करता हूँ
ऐसा इसीलिए कहता हूँ
क्योंकि पहले मेरा कुत्ता
खाना खाने के बाद
पाँच घंटे के लिए गायब हो जाता था
फिर वह पाँच पाँच हफ़्‍ते पर आने लगा
और कुछ दिनों बाद तो
पाँच महीने पर आकर खाने लगा
और अब तो बिल्कुल गजब ढाता है
खाना खाने के बाद
पाँच साल के लिए गायब हो जाता है
बीच में एक बार भी नहीं आता है
इसीलिए तो कहता हूँ
मेरा कुत्ता नेता हो गया है
लोगों का चहेता हो गया है

4 टिप्‍पणियां:

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

अरे कुत्ते की भी इज्जत होती है भाई. उसे नेता क्यों बना रहे है.

विनोद पाराशर ने कहा…

भाई आर्य जी,कुत्ते के माध्यम से आपने बहुत कुछ कह दिया हॆ-अपनी कविता में.’कुत्ते’ शीर्षक से मेरी भी एक कविता हॆ.कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हॆं-
कुछ कुत्ते
कुत्ते होते हॆं
कुछ कुत्ते
कुत्ते होते हुए भी
कुत्ते नहीं
कुछ ऒर होते हॆं
मेरे मॊहल्ले में कई कुत्ते हॆं.
पहला-भॊंकता हॆ
दूसरा-काटता हॆ
तीसरा-भॊंककर काटता हॆ
चॊथा-पेशेवर हॆ
हड्डी चाटता हॆ
कटवाने पर काटता हॆ.
कभी-कभी
बहुत गुस्से में आ जाता हॆ
हड्डी के जोश में
खुद को काट खाता हॆ.

बेनामी ने कहा…

bhai kutta hai ki naita

सतीश पंचम ने कहा…

बडी कुत्तई कविता है :)

बढिया लिखा। बहूत खूब।