देवी नागरानी से कभी मुलाकात नहीं हुई क्योंकि जब से मैं मुम्बई में रह रहा हूँ बस से वे भारत से बाहर अमरीका में रह रही है. इस साल जब वे अमरीका से भारत दौरे पर आई थी तो फोन पर उनसे बात हुई. मैं मिलना चाह रहा था पर उस वक्त वे पुनः अमरीका की खोज करने जा रही थी . बातों बातों में मुलाकात भी अच्छी थी. मैंने कहा - अमरीका जाकर आप भूल जायेंगी तो झट उन्होने एक स्वरचित शेर सुनाया
न बुझ सकेंगी ये आन्धियाँ
ये चरागे दिल है दिया नहीं
तब मुझे यकीन आ गया कि देवी नागरानी अमरीकी हिन्दी साहित्य की एक सशक्त लेखनी का नाम है. उन्होने अंपनी पुस्तक भिजवाई. उसका शीर्षक ही था- चरागे दिल. पढ़ कर यही लगा कि देवी नागरानी ऐसी देवी है जिनके आगे दिया नहीं जलाया जाता . बल्कि वे खुद एक दिया है जो अनवरत जलती रहती है. इसी लिए उनकी गजलो में जलने जलाने की बातें घूम फिर कर आ ही जाती है.
मैं अन्धेरे से आ गई बाहर
जब से दिल और घर जला मेरा
हम अपनों से चोट खाते है क्योंकि उनसे हमारी अपेक्षाये जूड़ी रहती है इसलिए उन्हें भी कहना पड़ा- भर गया मेरा दिल अपनों से सुख से गैरो के बीच रहती हूँ पर वे फिर कहती है
क्यों खुशी मेरे घर नहीं आती
क्या उसे मैं नजर नहीं आती
ख्वाब देखूँ तो किस तरह देखूँ
नींद तो रात भर नहीं आती
अब उन्हें कौन बताये कि खुशी आसमान की तरह है जो चार कदम आगे बढो तो चार कदम और दूर भाग जाती है. उनके गम भी अजीब है
अन्धेरी गली में घर रहा है मेरा
जहाँ तेल बाती बिन एक दिया है
पर वे एक दरिया दिल इंसान है तभी तो वो कहती है
मिट्टी का मेरा घर अभी पुरा बना नहीं है
हमसफर गरीब मेरा, बेवफा नहीं है
विश्वास करो तो करे वरना छोड़ दो
इस दुम समय मेरा बुरा हैं, मैं बुरा नहीं
अब हमारे साथ मिलकर यही दुआ कीजिये की हमारी इस शायरा का मिट्टी का घर पूरा बन जाये और उसके हमसफर कि गरीबी भी दूर हो जाये. वरना वे हमेशा यही गुनगुनाती रहेंगी
यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
मैं एक तो नहीं थी जिसको कुछ मिला न था.
1 टिप्पणी:
बसंत भाई
देवी जी के संपर्क में मैं भी हूँ. आपने बहुत अच्छा परिचय दिया. देवी जी के संपर्क में होना और उनका आशीर्वाद पाना सौभाग्य का विषय है.
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