2/8/07
दिमाग में शिवजी की जटा से भी ज्यादा उलझाव है
ओम जी को भूल गये? आपने उन्हें याद ही कब किया कि भूलेंगे. क्या पता आप उन्हें जानते ही न हो. दिल्ली में रहने वाले कई मिले जिन्होने लाल किला ही नहीं देखा जब कि उनकी उम्र भी लाल किला से कम न होगी. अब आप ये न कहाना कि मेरा इतिहास कमजोर से भी ज्यादा कमजोर है. हाँ समाज को जरा समझने की ललक है. अगर आप जयपुर जायें और वे आपसे मिलने को राज़ी हो जायें तो उनसे जरूर मिलिए. आपको ऐसी ऐसी जगह घुमा सकते हैं जो राजस्थान के लोगों को भी मालूम नहीं. एक रिक्शे वाले ने बताया कि ओमजी ने एक बार जयपुर में एक रिक्शा वाला मुझे मिला . उसने बताया कि वह बीस सालो से रिक्शा चला रहा है. जाने कितने विदेशी सैलानियों को जयपुर घुमा चुके हैं. जयपुर में हर जगह के बारे में जानते हैं ऐसा वे मानते है. पर ओमजी ने उस रिक्शे वाले को एक जगह ले चलने को कहा . रिक्शा वाला भौचक था कि ऐसी तो कोई जगह नहीं . ओमजी ने कहा - है तो है. और हम ढूंढ कर छोडेंगे. 250 साल पहले एक अंग्रेज जब इस जगह के बारे में इतना कुछ लिख कर गया तो जगह उड कर तो कही नहीं जायेगी. पन्द्रह दिन तक रिक्शे में ओमजी और जयपुर में रिक्शा दौडता रहा. और आखिर वो जगह मिल ही गई. वो जगह कौन सी है जिसके बारे में उस अंग्रेज ने लिखा था और 99% अंग्रेज भी उस जगह को देखे बिना जयपुर से लौट जाते है ये जानने के लिए या तो आप ओमजी को मेल कीजिएया उन्हें फोन कीजिए. फोन नं उनसे मेल कर के पूछ सकते हैं लोग कहते हैं कि हस्त लिपि भी एक विज्ञान है और इससे व्यक्तित्व का पता चलता है. जिसकी लिखावट सीधे सादी साफ है आदमी भी साफ है और जो जटिल लिखावट का मालिक है उसके दिमाग में शिवजी की जटा से भी ज्यादा उलझाव है और उससे जो गंगा निकलती है उसमे शिवजी भी डूब जाये. ओम जी कवि तो है ही पर उनकी हस्तलिपि देख कर उन्हें ये बताईए कि वे आदमी कैसे है.
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