पिछले दिनों फ्रेंडशिप डे आया तो मोबाइल पर कई दोस्तों के सन्देश आये. कुछ मित्रो को हमने भी सन्देश भेजे. एक दोस्त ने बंबइया हिंदी में कुछ उस तरह इजहार ए मोहब्बत की-
गॉड अपुन से पूछा किधर जाना मंगता? स्वर्ग या नर्क? अपुन बोला- नर्क. अपुन को मालूम, तुम साला दोस्त लोग उदरिच मिलेंगा. बोले तो जिधर तुम होयेंगा अपुन का स्वर्ग उदरिच .
एक संदेश ऐसा था जो अगर किसी पुरूष मित्र ने भेजा होता तो हम मजा लेकर रह जाते, पर यह संदेश एक महिला मित्र ने भेजा था.( महिला मित्र से मेरा मतलब उस तरह के पुरूष मित्र से है जिनकी बहुत ज्यादा महिलायें मित्र होती है.) संदेश छोटा सा था-
दोस्त के बगैर जिंदगी वैसी ही है जैसे वक्ष के बगैरस्त्री.
हम तो अब तक इसी दुविधा में है कि हम उनके लिए पहले क्या हैं. और वे हमारे आकार , प्रकार , व्यवहार आदि से कितने खुश है.मुझे उसी क्षण प्रसिद्ध तमिल लेखिका चूडामनी राघवन की कहानी ‘श्री राम की माँ’ की नायिका याद आ गयी जो सड़क पर चलती थी तो इस कदर सीना तान कर मुस्कुराती थीजैसे कोई विशाल साम्राज्य की महारानी अपने साम्राज्य की विशालता पर मन्द मन्द मुस्कुराती है. जब उसका लड़का अपनी प्रेमिका को उससे मिलवाने घर लेकर आता है तो वह उसके सपाट सीने को देखकर सोंचती है कि उसके लडके को इस लड़की में आखिर दिखा क्या?
वहरहाल् गजब कई हुए उस दिन. मेरी बिटिया सेफी मुझे बाजार लेकर गई. अपनी दोस्तों के लिए फ्रेंडशिप बैंड खरीदने. उसने अपने दोस्तों को ख्याल में रखते हुए बताया कि इतने बैंड चाहिए. हालाँकि इसे वह राखी समझ रही थी. खैर जितने उसने बताये मैने उससे एक ज्यादा बैंड खरीदा.
बिटिया बोली- एक अधिक किसके लिए?
मैने कहा- मेरे लिए.
बिटिया बोली- आप किसे बाँधेंगे?
मैने कहा- तुम्हारी मम्मी को.
बिटिया बोली-मम्मी क्या आपकी दोस्त है?
मैंने कहा- हाँ वो मेरी बेस्ट फ्रेंड है.
इसके बाद बिटिया ने एक मासूम सा सवाल किया जिसका जवाब मुझे आज तक नहीं सूझ रहा है. उसने बड़ी सरलता से पूछा- मम्मी अगर आपकी दोस्त है तो फिर वह आपको डांटती क्यों रहती है?
अब ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में अमिताभ बच्चन साहब ने भी किसी से यह सवाल नहीं पूछा क्योंकि ये तो सौ करोड का सवाल है. आपके पासअगर जवाब और अनुभव हो तो बताएं कि पत्नियाँ पतियों को क्यों डाँटती रहती है?
वैसे ये अलग बात है कि वह बैंड मैं अपनी पत्नी की कलाई पर नहीं बाँध पाया क्योंकि इसी बीच मेरी बिटिया ने एक और नयी दोस्त बना लिया और मुझ से बैंड छीन कर उसकी कलाई पर बाँध आई. तस्वीर में वह नई दोस्त एक पुरानी दोस्त के साथ अगल बगल दिख रही है
3 टिप्पणियां:
बसंत जी,
वीटिया के एक प्रश्न ने अचंभीत कर दिया आपको, क्या बचपन में टीचर ने मार-मारकर
नहीं पढ़ाया था, कि प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है. जहाँ प्यार है वहीं
तकरार भी. तकरार में हीं प्यार छिपा होता है. प्यार देने में यदि आप धनी हैं तो दुनिया की कोई
ताक़त आपके रिश्ते को ख़राब नहीं कर सकती. किसी भी रिश्ते की सबसेआबश्यक चीज़ है
आपसी विश्वास और संपूर्ण ईमानदारी. परिवार में दो चीज़ें बहुत अहम है. एक है शेयरइंग और
एक है केयरइंग. इन दोनों से रिश्ते बनते हैं, प्यार-मोहब्बत जागते हैं. इन दोनों से हीं रिश्ते
बनते रहते हैं और बने रहते हैं. जितना बड़ा मन, उतनी बड़ी समझदारी.ऐसे प्रश्न पूछने के
लिए वीटिया को बहुत-बहुत धन्यबाद....../ आपका- रवीन्द्र प्रभात
मालुम नहीं आपको आपकी पत्नी कैसे डांटती है। मेरी तो कभी नहीं - यहां तक यह टिप्पणी भी मैं उसके बताने पर कर रहा हूं :-)
क्योंकि पति-पत्नी आपस में दोस्त नहीं होते। क्यों? क्योंकि हर पत्नी अपने पति से कुछ छुपाती है। हर पति अपनी पत्नी से कुछ छुपाता है। जबकि सच्चा मित्र वही हो सकता है, जिसे हम अपना राज़ बता सकें, जिसके सामने अपने मन को उधेड़ कर दिखा सकें।
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