ये वो है जो रिमोट पर कब्जा कर लेती हैं
दफ्तर से देवमणि पांडेय के साथ लौटते हुए चर्चगेट मे विनय पत्रिका वाले बोधिसत्व से मुलाकात हो गयी. उन्होने शिकायत की और कहा कि मेरा ब्लाग अच्छा है पर मै नियमित क्यो नही लिख रहा हूँ? मैने कहा कि कोशिश करूंगा.. फिर उन्होने बताया कि मुंबई मे हिन्दी के कुल जमा बारह ब्लागर है.पता नही बारह को वे जानते हैं या सचमुच सिर्फ बारह ही है. मै चाहूंगा कि बोधिसत्व बारह मुंबईया ब्लागरों की सूची मुझे और अन्य लोगो को भी उपलब्ध कराये.फिर उन्होने बताया कि पिछले दिनो मुंबई मे एक गुप्त ब्लागर मीट हुई जिसमे मुझे उन्होने इस लिए नही बुलाया क्योकि क्रिकेट मे ग्यारह खिलाडी ही होते है. मैने कहा चलिए ब्लागर मीट के बारे मे कुछ बाते कर ले तो बोले - अभी घर जाकर भारत पाकिस्तान का मैच देखूंगा. परिवार के साथ रहो तो बच्चों को भी अच्छा लगता है. इससे परिवार के प्रति उनके स्नेह का पता चला . अब ये निर्णय तो मै नही कर पाया कि परिवार के प्रति उनका स्नेह ज्यादा है या क्रिकेट के प्रति जूनून. पर यह ज्यादा अच्छा लगा कि हिन्दी के कवि लेखक जहाँ कविता कहानी के अलावा दुनिया मे किसी अन्य चीज का अस्तित्व ही नही मानते वही बोधिसत्व क्रिकेट जैसी चीजों मे भी अति रूचि रखते हैं उन्होंने वही सबवे के पास देवमणि को सहयाद्री रेस्तराँ मे चाय पिलाने का आदेश दिया और साथ मे कुछ खिलाने का भी. एक पंडित दूसरे पंडित से भोज कराने को कह रहा था और दोनो एक दूसरे की जेब हल्का करने को आमादा थे. बाद मे बोधि ने स्पष्ट किया कि अंधेरी से चर्चगेट के बेच मिलने पर चाय पानी का खर्चा देवमणि को उठाना है और अंधेरी से विरार के बीच बोधि खर्च उठायेंगे. उम्मीद है देवमणि आने वले समय मे अंधेरी की काफी यात्रायें करेंगे. मै तो सलाह दूंगा कि वे सीजन टिकट ही निकाल ले वर्ना उनका मामला भारत सरकार की तरह हमेशा घाटे मे रहेगा. बहरहाल घर आया तो पत्नी टी वी खोले क्रिकेट मे रमी हुई थी. वह क्रिकेट मैच के दौरान हमेशा रिमोट पर कब्जा कर लेती है. चाहे किसी मुशायरे या कवि सम्मेलन का प्रसारण किसी चैनल पे क्यो नही हो रहा हो. मै हमेशा तर्क देता हूँ कि मै कवि हूँ और इस हिसाब से अगर मुशायरे वगैरह का कार्यक्रम हो तो उस वक्त टी वी पर मेरा हक होना चाहिए क्योकि वह कोई क्रिकेटर होती तो जरूर उसे क्रिकेट देखने का हक होता. इस पर पत्नी बोलती है - दूसरों की शारती सुनने से मेरे लेखन पर दूसरों का प्रभाव पडने का खतरा है. इसलिए कविता पर हमेशा क्रिकेट भारी पडता है. फिर इस बार सीधे शाहरूख खान स्टेडियम मे अपने बेटे के साथ मौजूद थे और हर मौके पर तालियाँ बजा कर अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे. पत्नी बोली - क्या कभी शाहरूख खान आपकी कविता सुनने आयेगा और अगर आ भी गया तो तालियाँ बजायेगा. मैने कहा आमिर खान ने जब किरण राव से शादी रचाई तो पंचगनी मे कवियों को बुलाया था. अच्छा पेमेंट किया था और काव्यानंद लिया था. पर पत्नी ने आमिर खान को सिरे से खारिज कर दिया कि जो आदमी अपनी पहली बीवी को बाय बाय कर दूसरी के साथ गुलछर्रे उडा रहा है उसकी तो बात ही क्या करनी. आदमी है तो शाहरूख . कभी किसी की ओर देखता तक नही. अब मेरी एक ही इच्छा है कि एक ऐसा कवि सम्मेलन हो जिसमे शाहरूख खान बतौर श्रोता आये और मेरी कवितायें सुन कर तालियाँ बजायें . खैर जब इंडिया ने आखिरी छक्का लगाया उससे पहले उसने डर के मारे टी वी ही बन्द कर दिया. मैने पूछा टी वी क्यो बन्द कर दिया. पत्नी बोली - मुझे लगा इंडिया शायद हार न जाये. मेरी तो जान ही निकल जाती. खैर इंडिया टीम को बहुत बहुत धन्यवाद . उसने मुझे विधुर होने से बचा लिया.
16 टिप्पणियां:
क्रिकेट तो मालुम है. यह कविता कौन है?! कोई हीरोइन जी हैं?
अच्छी दिखती है कविता कम से कम पोस्ट पर ऊपर चिपकी तस्वीर में।
सारी रामायण पढ़ ली । लेकिन समझ में नहीं आया कि ऊपर जो मुस्कुराती हुई कविता हैं वे किसकी हैं ।
सबसे ज्यादा मज़ा देवमणि जी के उधड़ने की बात पे आया ।
बेचारे । इसलिए कहते हैं समझौते सोच समझ के करनी चाहिये ।
वैसे एक बात कहें क्रिकेट सब पे भारी है ।
चलिये क्रिकेट के बहाने हम आप तक फिर पहुंचे.आप भी पधारते रहें.
http://kakesh.com
Haan to sirjee Jab Bhi SRK aap ki kavita sun ne Aaye Hum bhi Shrota gan me shamil ho... Aisa sammelan ho jisme koi kisi aur ki biwi ko dekhe tak nahi,,,,Yakinan SRK is better than Aamir...
Haan to sirjee Jab Bhi SRK aap ki kavita sun ne Aaye Hum bhi Shrota gan me shamil ho... Aisa sammelan ho jisme koi kisi aur ki biwi ko dekhe tak nahi,,,,Yakinan SRK is better than Aamir...
बसंत जी का कहना है कि;
कविता पर क्रिकेट भारी है
पर अपनी तो भइया
दोनों से यारी है
मैं तो मानता हूँ कि;
जीवन बिना दोनों के
नहीं चलेगा
क्रिकेट में कविता
खोजने की आदत डालें
कविता में क्रिकेट
अपने आप मिलेगा
कविता अच्छी हो
तो समझें कि
श्रोता 'बोल्ड' हो गए
कविता अगर लचर है
तो श्रोता से बचने के लिए
कवि के पास
चुटकुलों का 'कवर' है
श्रोता हूटिंग के लिए हों तैयार
तो नाराज ना होइए सरकार
दो-चार चुटकुलों से
श्रोता का मुख खिल जायेगा
'कवर' की बात छोड़िये
'एक्स्ट्रा कवर' भी मिल जायेगा
कविता में अगर दम है
तो किस बात का गम है
दमदार कविता से
श्रोता 'बैक-फुट' पर दिखेगा
रिस्पांस हो अगर मिक्स
तो भी डरने का नहीं
आराम से लगाते रहिए
'फ़ोर' और 'सिक्स'
जिस घर मे "ऐसी" कविता नही वहां भी क्रिकेट है कविता पर भारी, रिमोट छीनने के लिए ऐसी कविता न सही और भी है प्राणी!!
भाई आंतरिक समझौते उजागर नहीं किए जाते। अच्छा है कि रिमोट कविता के ही हाथ में रहे। आप की कविता बेजोड़ है।
प्रिय बसंत जी,
अपनी अंतरगता को क्रिकेट और कविता से जोड़कर अपनी बातों को बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ
प्रस्तूत किया है,भाई वाह, बधाईयाँ...../
आमीन!!
जरुर बजायेगा एक दिन शाहरुख आपकी कविता पर ताली. हम भी बजायेंगे, आप सुनाओ तो.
अच्छा, यह सब छोड़िये. यह तस्वीर किसकी लगाई है आपने. बात कुछ और और तस्वीर कुछ और?
कोई खास वजह?
:)
इन्तजार सभी को है जानने का.
प्रिय बसंत जी.. बहुत अच्छा लगा आप का ब्लाग देखकर..शुक्रिया आप ने मेरे ब्लाग पर नजर डाली.
कवि कुलवंत
http://kavikulwant.blogspot.com
uशिव ने तो पूरी रचना लिख डाली , बाकी जिसने डाली बुरी नज़र डाली !
बहुत रोचक लिखे हैं आप लेकिन पढ़ा कितनों ने जनाब? पढने की आड़ मैं सिर्फ़ देखा है लोगों ने ब्लॉग !
शाहरुख़ की तालियों के लिए मत लिखिए वो तो पैसे लेकर आप के घर आके ताली बजा के चला जाएगा हम जैसों के लिए लिखिए जो ताली नहीं बजाते लिख के दाद देते हैं हुजूर !
नीरज
Kavita wlae post k baad THAKKA pe itna SANNATA q hai BHAI??? (sirjee Kuch nayi post ho jaye)
बंसत जी बम्बई में 12 नहीं और भी ब्लोगर होंगे, एक तो हम ही नये आये हैं, किरकिट से अपना कुछ लेना देना नहीं पर आप की कविता सुनने हम भी आना चाहेंगे, दाद देंगे ये वादा है
Fantastic.
Laaa....jbaaaa...v.
mTk, Mumbai
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