9/5/07

हमारी हकीकत

जहाँ की दौलत अपने पास न कोई जागीर रखते हैं
न कोई तलवार रखते हैं न कोई शमशीर रखते हैं
हँसाते हैं तो हँस लो तुम भी आज् जी भर के
वर्ना हम भी अपने सीने में दर्द की तस्वीर रखते हैं.

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

स्वागत है आपका.

अजित वडनेरकर ने कहा…

vaah kyaa baat hai

हुजूर को आदाब अर्ज़ है......
आप व्यस्तता के बीच हमारे धाम पधारे इसका शुक्रिया। हमारे लिखे को सराहा इसके लिए तहे दिल से आभारी है। समझदार लोग अगर
गंभीरता और ईमानदारी से किए जा रहे कार्य को सराहें तो उसका महत्व होता है। ये काम हमारा भी काफी समय ले रहा है मगर आप जैसे लोगों की बानी सुनकर मन पुलकित रहता है। चलो, इतना जीवन बेकार गया, कुछ तो अब ऐसी सद्बबुद्धि आई है कि अपने लोगों में मिल बांटें ..
आज आलोक पुराणिक चैट पर थे , कहने लगे कि अपने अवगुन तो बता दीजिए.....हमने कहा यही कि साथी ब्लागरों की पोस्ट पर टिप्पणी नहीं कर पाते...... यह मलाल हमें भी रहता है। मगर जितना भरसक होता है पढ़ते उन सभी को हैं जिन्हें अपने ब्लागरोल में जगह दी है। बाकी जो मजमून खुद ब खुद पढ़वा ले। जादू वही जो सिर चढ़ बोले...
साभार....

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