पत्नी बोली- तुम क्या कमाते हो
असल में तो पडोस का शर्मा कमाता है
उसके बीवी रोज
एक किलो प्याज खरीदती है
और सारा परिवार खाता है
तुमसे तो कुछ लाने को बोलूँ
तो आंखें लाल पीली होने लगती है
और प्याज के नाम पर
पतलून ढीली होने लगती है.
मैने कहा- फिजूल के खर्चे मत किया कर
और प्याज के ज्यादा चर्चे मत किया कर
ये चीज ही ऐसी धांसू है
कि पहले तो खाते वक्त आती थी
अब भाव सुन कर ही आंखों में आंसू है
क्या बताउँ दफ्तर मे चपरासी तक
बास के साथ लंच खाता है
क्योंकि अपनी टिफिन से निकाल कर
प्याज तो वही खिलाता है’
अब तो लगता है
दूल्हा दहेज मे प्याज ही मांगेगा
और गले में नोटों की जगह
प्याज की माला टांगेगा’
लडकी का पिता लडके के आगे
सिर के पगडी के बजाय
प्याज ही रखेगा
और मेरी लाज रख लीजिए के बजाय कहेगा
जी मेरा प्याज रख लीजिए
सास बहू को ताना मारेगी
अरे वो तो किस्मत ही खराब थी
जो यहाँ पे रिश्ता किया
वर्ना हमने तो अच्छे अच्छे प्याज वाले को
घर मे घुसने तक नही दिया
बडे बडे नेता खुद को
सिक्कों के बजाय प्याज से तुलवायेंगे
और अच्छे अच्छे कवि
प्याज पर कवितायें सुनायेंगे.
राजनीतिक पार्टियाँ अपना चुनाव चिह्न
प्याज रखेगी
और घर घर जाकर
प्याज बांटने वाली पार्टी ही
सत्ता का स्वाद चखेगी.
क्योकि प्याज की मारी जनता कहेगी
न हमे राम राज चाहिए
न कृष्ण राज चाहिए
हमे तो सिर्फ सस्ता प्याज चाहिए.