19/7/07

सौ साल पहले मैं कर्जदार था

आपने कभी उधार लिया है. या ऐसे भी पूछा जा सकता है कि आपको कभी किसी ने उधार दिया है. उधारी के बडे किस्से हैं एक आदमी ने ट्रेन में किसी अंजान यात्री से उधार मांगा. अंजान आदमी बोला- आप मुझसे उधार कैसे मांग रहे है मैं तो आपको जानता नहीं, बन्दा बोला- इसी लिए तो आपसे मांग रहा हूँ.जो जानते हैं वो तो देते नहीं है. ऐसे ही एक स्कूल में शिक्षक ने गणित की क्लास में एक लडके से पूछा- मान लो मैने तुम्हारे पिताजी को 1200 रूपये पन्द्रह प्रतिशत ब्याज पर 6 महीने के लिए उधार दिया तो 6 महीने बाद तुम्हारे पिता जी कितना पैसा लौटायेंगे? लड़का बोला- तुम इतना सा गणित भी नहीं जानते. ळडका बोला – मैं गणित बहुत अच्छी तरह जानता हूँ . मगर आप मेरे बाप को नहीं जानते. किसी का लौटाया है जो आपका लौटायेंगे. तो उधार मांगना एक कला है. अगर आपको उधार मिल जाये तो आप सही कलाकार हैं. लेकर कभी न लौटायें तो आप सुपर हिट है. चलिए एक पैरोडी लिजिए. अगर आप बाथरूम टाइप के सिंगर है और इसे गाना चाहते हैं तो मुझे खुशी होगी. अगर रिकार्ड निकलवाना चाहे तो मुझे सूचित करें. पैरोडी मैंने इस तरह लिखी है.
सौ साल पहले मैं कर्जदार था, 2
आज भी हूँ और कल भी रहूंगा
माँ बाप बीवी बच्चों के
सिर का मैं भार था 2
आज भी हू और कल भी रहूंगा. उधार जब कोई मिल जाये
मेरी तबीयत खिल जाती है जब वापस करना हो तो
मेरी नानी मर जाती है
देने वालो का हरदम करता इंतजार था 2
आज भी हू और कल भी करूंगा सौ साल पहले...........
एक वार जो देते फिर
ता उम्र वे रोते हैं
वे जागा करते रातों को
हम चैन से सोते है.
मैं तो पैदाएशी ऐसा होशियार था 2
आज भी हूँ और कल भी रहूंगा
सौ साल पहले...........
इस घर में टी वी ,फ्रीज
और सोफा उधार से है हर हसीन जलवा
और मस्त बहार उधार से है उधार से ही लेने की
सौचता हर बार था 2 आज भी हूँ और कल भी रहूंगा
सौ साल पहले मैं कर्जदार था,

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा, मजेदार. एड्रेस देना घर का जरा. थोड़ा जरुरी काम है, कुछ उधार मिल जाती तो ठीक रहता. ६ महिने में लौटा दूंगा, ऐसा साधुवादी विचार आया है. :)

Sanjay Tiwari ने कहा…

समीरलाल के पास उड़न तश्तरी है. इस बात की पूरी संभावना है कि कर्ज लेने के बाद वे दूसरे ग्रह को चले जाएं. मेरे पास ऐसा कोई यंत्र नहीं है. आपको विचार करना है कि कहां कर्ज देना शुभीते का सौदा होगा.
आज भी हूं और कल भी रहूंगा.

विनोद पाराशर ने कहा…

भाई आर्य जी,काका हाथरसी जी ने तो यहां तक कहा था कि यदि आप चाहते हॆ कि इस दुनिया से विदा होने के बाद भी लोग आपको याद रखें तो सबसे आसान तरीका हॆ कि कर्जा लेने के बाद उसे वापस मत करो. देखिये उनकी यह कुण्डली-
’पूजा-पाठ सब व्यर्थ हॆ, व्यर्थ यग्य व योग
कर्जा लेकर खाईये नित्य प्रति मोहन भोग
नित्य प्रति मोहन भोग करो काया की पूजा
आत्म यग्य से बढकर कोई यग्य नही हॆ दूजा
कह काका कविराय नाम तू रोशन कर जा
मरना तो निश्चित हॆ तू कर्जा लेकर मर जा’.

tarun kana-fusi ने कहा…

very good, i like it.